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नास्तिकों के दावो का खंडन

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नास्तिकों के दावो का खंडन बौद्ध मत में जड़पूजा और अंधविश्वास By  baba baba   -  May 13, 2019  कार्तिक अय्यर ( १८/७/१८) ।।ओ३म्।। नमस्ते मित्रों! आजकल राजेंद्र प्रसाद सिंह आदि अंबेडकरवादी लेखक फाहियान और ह्वेनसांग नामक बौद्ध विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तांतों की बात करते हैं। पर इनको पढ़ने से उस समय बौद्ध मत में प्रचलित जड़पूजा,अंधविश् वास और अवैज्ञानिक पाखंडी बातों की पोल खुल जाती है। बौद्धों का अपने मत को वैज्ञानिक कहना ही सबसे बड़ा झूठ है। हमारे पास ब्रजमोहनलाल वर्मा की पुस्तक "फाहियान और हुएनसंग की भारत यात्रा" नामक पुस्तक रखी है। उसी पुस्तक से इस विषय पर कुछ प्रमाण देते हैं। हमने संक्षेप में उनके लेख का सार दे दिया है। विस्तार से वर्णन पुस्तक में देख सकते हैं। पाठकगण! पुस्तक के उद्धरण और उस पर हमारी समीक्षा पढ़कर आनंद लें- १:- बुद्ध के टूटे दांत की पूजा- यहां बुद्धदेव की एक निशानी है-वो है पत्थर का पीकदान! यहां पर बुद्ध का एक टूटा हुआ दांत है,जिस पर लोगों ने स्तूप बना दिया। इसके पास प्रायः १००० भिक्षु रहते हैं।यहां हीनयान मत का अधिक प्रचार है। ( पेज १० पैराग्रा...

गुप्त साम्राज्य

गुप्त साम्राज्य    गुप्त साम्राज्य का उदय तीसरी सदी के अन्त में प्रयाग के निकट कौशाम्बी में हुआ। गुप्त कुषाणों के सामन्त थे। इस वंश का आरंभिक राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में था। लगता है कि गुप्त शासकों के लिए बिहार की उपेक्षा उत्तर प्रदेश अधिक महत्त्व वाला प्रान्त था, क्योंकि आरम्भिक अभिलेख मुख्यतः इसी राज्य में पाए गए हैं। यही से गुप्त शासक कार्य संचालन करते रहे। और अनेक दिशाओं में बढ़ते गए। गुप्त शासकों ने अपना अधिपत्य अनुगंगा (मध्य गंगा मैदान), प्रयाग (इलाहाबाद), साकेत (आधुनिक अयोध्या) और मगध पर स्थापित किया। गुप्तों की उत्पत्ति गुप्त राजवंशों का इतिहास साहित्यिक तथा पुरातात्विक दोनों प्रमाणों से प्राप्त है। इसके अतिरिक्त विदेशी यात्रियों के विवरण से भी गुप्त राजवंशों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। साहित्यिक साधनों में पुराण सर्वप्रथम है जिसमें मत्स्य पुराण, वायु पुराण, तथा विष्णु पुराण द्वारा प्रारम्भिक शासकों के बारे में जानकारी मिलती है। बौद्ध ग्रंथों में 'आर्य मंजूश्रीमूलकल्प' महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। इसके अतिरिक्त 'वसुबन्धु चरित' तथा 'चन्द्रगर्भ परिपृच्छ...

वसल सुत्ताचा मराठी व इंग्रजी अनुवाद... (वृषल व्यक्तीचे गुण कोणते...?)

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The Buddhist way of life (बौद्ध जीवन मार्ग) ©2014 By www.buddhistsofindia.blogspot.in You may copy anything else from this Blogspot, But : 1. You should mention the source of an article or text from where you copied it. 2. Don't use any article to make money in any respect . otherwise All Rights resereved   Home   लेख   मराठी धम्मपद   Ebook   मराठी सुत्तपिटक   मराठी सुत्तनिपात   ▼ रविवार, १७ नोव्हेंबर, २०१३ वसल सुत्ताचा मराठी व इंग्रजी अनुवाद... (वृषल व्यक्तीचे गुण कोणते...?) प्रस्तुत सुत्र हे सुत्तनिपातातील सातवे सुत्र आहे, यामधील गाथांद्वारे वृषल (नीच) व ब्राह्मण (विद्वान) कोणाला म्हणावे याबाबत भगवान बुद्ध आपले मत स्पष्ट करतात. असे मी ऐकले आहे,, एकदा भगवान बुद्ध श्रावस्ती येथे अनाथ पिंडिकाच्या जेतवनात आराम करत असताना, एकदा भगवान सकाळच्या पहिल्या प्रहरी वस्त्रपरिधान करुन श्रावस्ती मध्ये भिक्षाटनासाठी गेले असता, त्यावेळी अग्नीपुजक भारद्वाज ब्राह्मणाने त्याच्या घरी अग्नी प्रज्वलीत केला होता. त्या यज्ञात विविध प्रकारच्या आहुती दिल्या जात होत्या. भगवान बु...